अगर आप किसी से सच्चे दिल से मोहब्बत करते है परन्तु मतलूब आपसे ताल्लुकात नहीं रखता या फिर वालिदा की रजामंदी नहीं है तो इस मुजर्रब वजीफा को करके उनसे निकाह कर सकते है |
मौलवी अब्दुल रिहाब जी को इस्लामिक वजीफा , अमल और दुआ कई सालो का तजुर्बा है जिसकी बदोलत आज कई लोगो का आशियाँ बसा है |
मोहब्बत बढ़ाने का वजीफा , अमल
कुरान-ए-पाक, सुरह #12, आयत #30 का एक हिस्सा
“Qad shaghafaha hubban”
ये वज़ीफ़ा उरूज माह की नौचंदी जुम्मेरात से शुरू होगा| नौचंदी जुमेरात से मतलब यहाँ हिजरी/चाँद के माह की पहली जुम्मेरात से है|
वज़ीफ़ा कैसे करना है-
रात को जब सोने जाये तो उससे ठीक पहले;
सबसे अव्वल ताज़ा वुदू बना लीजिये;
बिस्तर चाहे ज़मीन पर हो या फिर किसी चारपाई या पलंग पर बस पाक साफ होना चाहिए| आप जाकर बैठ जाये;
अव्वल दुरूद शरीफ 11 मर्तबा पढ़िए;
‘बिस्मिल्लाह शरीफ’ पढ़िए;
फिर ऊपर दी हुई क़ुरान-ए-पाक की सुराह यूसुफ़ की आयात #30 का एक हिस्सा है जो ऊपर दिया हुआ है को 101 मर्तबा पढ़िए;
आखिर में फिर से दुरूद शरीफ 11 मर्तबा पढ़िए;
याद रहे पुरे वक़्त पढ़ने के दौरान मतलूब का तसव्वुर कीजिये;
ये वज़ीफ़ा ठीक 11 रोज़ या फिर फायदाह होने में देर हो तो 21 रोज़ तक पढ़ सकते है;
इंशा अल्लाह मतलूब बे-क़रार होगा और हाज़िर होगा;
ये अमल बहुत मुजर्रब अमल है;
नोट: – किसी से नाज़ायेज़ ताल्लुकात के लिए इस वजीफा का इस्तमाल नहीं करे |
वजीफा का अमलियत में लेन से पहले मौलवी जी से मशवरा ले |
मशवरे के लिए
नाम: – मौलवी आस्मां अली
Call or whatsapp: – +91-8558986769